जीवन सार
जीवन सार
बात नहीं, बातों के सार को समझो,
तर्क- वितर्क नहीं, इन के विस्तार को समझो,
विकृति जो उत्पन्न करें, उसके नुकसान को समझो,
आलोचना में डूबी बात के, निर्माण को समझो,
शहद में लिपटी बात के, पराएपन को समझो,
जीवन समझना है तो.….
वार्तालाप से बने "गीता सार" को समझो।।
