जीवन सा बहती हूँ..
जीवन सा बहती हूँ..
स्वभाव,
जीवन को जीते हुए
चलना।
जीवन
जैसे बहता है
उसके साथ साथ
बहती हूँ।
जीवन
वैसा नहीं
जैसा तुम देखते हो
या तुम्हें दिखाई पड़ता है
अपने आस पास
परिभाषाओं में
बँधा।
जीवन वैसे
जैसे वो होता है
प्रकृति में
बिना बंधन के सहज
अपने वास्तविक रूप में
कहीं बहता हुआ
जीवंत नदी सा
जीवन देता हुआ
कभी शांत प्रस्तर सा
मौन उपस्थिति देता हुआ
प्रत्याशित में भी
अप्रत्याशित होता हुआ
किंतु अनवरत
शून्य से जीवन
और पुनः
शून्य होता हुआ।