जीवन मूल्यों की कुण्डलियां
जीवन मूल्यों की कुण्डलियां
मंजिल पाने को सुनो, पुनि - पुनि करो प्रयास
जड़ जन भी ज्ञानी हुआ, नियमित कर अभ्यास
नियमित कर अभ्यास, सत्य हो सारे सपने
ख्याति मिलेगी आप, बने तब सब जन अपने
कह जोगी करजोरि, कर्म से सब हो हासिल
पथ पर बढ़ते नित्य, मिले है इक दिन मंजिल
अक्सर जीवन में मिले, जोगी कई तुफान
उनसे लड़कर ही बने, जग में मनुज महान
जग में मनुज महान, बने निज के भुज बल पर
ज्यों निखरे है स्वर्ण, अनल में नित जल तप कर
कह जोगी करजोरि, करो कर्म नित्य डटकर
साहस से ही होत, सफल कर्म सकल अक्सर
लहरें उठती रोज ही, ओझल भव के पार
बीच भँवर में है फँसा, जीवन का पतवार
जीवन का पतवार, चले नित धीरे - धीरे
लिए हृदय में चाह, चले सागर के तीरे
कह जोगी करजोरि, चलो बिन पथ पर ठहरे
रहे अगर खामोश, बहा ले जाए लहरें।