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Riddham Patel

Drama Inspirational

3  

Riddham Patel

Drama Inspirational

जीवन का सच

जीवन का सच

2 mins
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देखे थे सपने कई सुनहरे जब छोटी सी थी,

अब उ़न्हीं सपनों को सँवारने चली जा रही हूँ,


ख्वाब थे कई हसीन जो शायद टूट से गये हैं,

फिर से उन ख्वाबों के टूकडो को जोड़ने चली जा रही हूँ,


रिश्ते तो बहुत मिले और रिश्तेदार भी मिले,

पर हो बिना नाम का रिश्ता, उसके लिये चली जा रही हूँ,


सब कहते है इंतजार करो सब्र का फल मीठा होता है,

उसी फल के इंतजार को पूरा करने चली जा रही हूँ,


कई हाथ मिले राह में और कई छूट भी गए,

पर जो कभी ना छूटे ऐसा हाथ थामने चली जा रही हूँ,


जो खोया वो बहूत ज्यादा अनमोल था मेरे लिए,

पर कहते हैं ज्यादा अच्छा मिलेगा इसलिए चली जा रही हूँ,


दर्द है बहुत सपनों के टूटने का पर ये नही समझता कोई,

जो समझे ये बात उसको ढूँढ़ने चली जा रही हूँ,


पता नही क्यूँ खुदा हर बार मुझे ही अकेला कर देता है,

जो दूर करे इस तन्हाई को ऐसा साथ पाने चली जा रही हूँ,


चुप सी हो गयी हूँ, ना ही अच्छा लगता है अब कुछ कहना,

अपने उन हसीन लफ्जों की तलाश में चली जा रही हूँ,


थक जाती हूँ रोज सबको झूठी मुस्कान दिखाकर,

अपनी उस सच्ची हँसी को तराशने चली जा रही हूँ,


कोई नहीं समझा मेरा दर्द और ना कभी मैं सुना पाई,

बिना बोले ही मेरी आँखों से देख ले उस नजर के लिये चली जा रही हूँ,


पता नहीं राहों में कहीं है भी या नहीं मेरी मंजिल,

फिर भी मंजिल को पाने की चाह में चली जा रही हूँ,


अगर किसी को चुभ जाये मेरे बोल तो माफ करना यारो,

मैं तो बस यूँ ही अपना हाल-ए-दिल लिखे जा रही हूँ।।


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