जीवन और मृत्यु
जीवन और मृत्यु
जीवन तू सत्य है
तो मृत्यु है अटल सत्य
जीवन क्षण भगुंर हैं
तो मृत्यु है शाश्वत
जीवन और मृत्यु
तू हर युग मेंहर काल में है
हर इंसान के प्रारब्ध में है
दोनों ही अटलदोनों ही निर्भीक है।
जीवन और मृत्यु
एक अंत है तो एक आरम्भ है
दोनों अविकल्प है सृष्टी का आधार हैं।
जीवन और मृत्यु
जीवन आग अनल है
मृत्यु परम सुखदाई है
जीवन रण का मैदान है तो
मृत्यु विजय का द्वार है।
एक तृप्ति अमृत की तो
दूजा (जीवन)विष की खान है।
जीवन और मृत्यु
जीवन अगर दिवस है तो
चिरनिद्रा मृत्यु है
जीवन मृग मरीचिका है तो
मृत्यु पूर्ण विराम है
जीवन का नाम बंधन है तो
मृत्यु ही निर्वाण ( मोक्ष्)है।
लेकिन
मृत्यु तभी निर्वाण है जब
जब हमने जीवन का थोड़ा सा
भी अंश
ध्यान में समर्पित किया हो
सत्य को पिया हो
करुणा में जिया हो
सबसे प्रेम किया हो
फिर तो मृत्यु
मृत्यु नहीं अमृत का द्वार है
ऐसा जीवन भी यादगार है।