जीना थोडी जीना हे
जीना थोडी जीना हे
आसमान मे तारे तेरते है
जमीन पर पाणी बहता है
पंछी खुले आसमान मे रहते है
अरे अपना जीना थोडी जीना है
इंसान तो भागता रहता है
ठहरे तो हाफता रहता है
कभी तो मुडके देखो
कोई आपको पहचानता है क्या
अरे अपना जीना थोडी जीना है
आसमान मे छेद नाही होता
संसार मे कोई अपना नहीं होता
आजकाल भगवान भी ढुढने पर नहीं मीलते
तो सच्च इंसान कहा से मीलेगा
अरे अपना जीना थोडी जीना है
सब कहते है सच्चाई की जीत है
पर आजकल तो सच्चा कोण है
हात जोड कर भगवान को लालच देते है
माँगते भी क्या, मुझे अमीर बना दो
अरे अपना जीना थोड़ी जीना है।