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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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झूठ का बोलबाला

झूठ का बोलबाला

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बस ये ही तो 

गड़बड़झाला है

तुझे ये सब 

कहाँ समझ में आने वाला है।


तुझे तो सत्यवादी बनने का

भूत जो सवार है।

अरे मूर्खों !

तुम सब क्यों नहीं समझते ?


आज के खूबसूरत परिवेश में

सत्य का मुँह काला है।

उसका कुर्ता मुझसे सफेद क्यों है ?

यार ! अब तो समझ लो

ये सब झूठ का बोलबाला है।


खबरदार, होशियार

बहुत हो चुका झूठ की

जी भरकर बेइज्जती

अब और सहन नहीं करूंगा,

झूठ का अपमान किया तो

मानहानि का केस करूंगा।


झूठ के गड़बड़झाले की तो

बात भी मत करना,

सत्य को तुम चाटते आ रहे हो 

बचपन से बुढ़ापे तक,

क्या मिला तुम ही बता दो

आखिर तुमको अब तक।


झूठ का गुणगान 

किया मैंने अब तक,

तुम खुद ही तो कहते हो

तू तो है सिंहासन वाला।


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