जेल में बंद हूँ मैं
जेल में बंद हूँ मैं
जेल मे बंद हूँ मैं,
वहीं अस्त हूँ मैं
सपनों को काटने में,
उनको निहारने में
व्यस्त हूँ मैं,
जेल मेँ बँद हूँ मैंं।
शुन्य हूँ मैं, कहीं गुम हूँ मैं
मसगूल हूँ मैं, इस जहाँ में,
कहीं लुप्त हूँ मैं,
जेल मेँ बँद हूँ मैं।
चँद्र हूँ मैं
जलता सूर्य हूँ मैं,
आगोश का सितारा हूँ मैं
अंधकार का उजाला हूँ मैं
मदिरा का प्याला हूँ मैं
जेल में बँद हूँ मैं।
लोह सा कठोर हूँ मैं
निर सा मुलायम हूँ मैं
वक्त सा बहता हूँ मैं
निर्दोष सा रोता हूँ मैं।
अपने ही प्रतिबिम्ब में,
स्वयं को तलाशता,
व्यस्त हूँ मैं
जेल में बँद हूँ मैं,
जेल में बँद हूँ मैं।
