जाने किस डगर ले जाएगी जिंदगी
जाने किस डगर ले जाएगी जिंदगी
जाने किस डगर ले
जाएगी जिंदगी मेरी
रास्ते खत्म होते ही नहीं
एक उलझन सुलझती नहीं
दूसरी खड़ी हो जाती है
बस परछाइयों का साथ
पकड़े चले जा रहे हैं,
रोशनी की किरण फूटती
है मन के अंदर पर
बाहर कुछ नजर नहीं आता
फिर भी आस का दामन
थाम कर चल रहें है
आस ही नहीं विश्वास भी है
देर से ही सही मगर
उजाला जीवन में अंततः आएगा ही
सारी उलझनें सुलझाएगा ही
रिश्ते जो छूट रहे थे सब
एक डोर से बंध जाएंगे
खुशियों के कमल खिल जाएंगे......