जादु
जादु
पता नहीं वो कौन सा जादू था,
जिसने राधा समेत सारे गोपियो के
नींद चुरा लेगया, माखन खाने वाला
बस्त्र चुराने वाला, मटकी फोडने वाला,
नटखट नंदलाला के प्रेम में ,
आ गए सारे गोकुल के बसिया
क्या वो जादू उनके मुरली के तानो की थी
या फिर उनके मन्द मन्द मुस्कान की ,
मोर मुकुट धारी घनश्याम बालक के नटखट लीला के जादू ,
सारे बृंदाबन में छा गया...
फिर एक दिन ऐसा आया....
हर दिन उत्सव होने वाला बृंदाबन के ऊपर
किसी के काले नज़र लग गया
खुशी के आंगन में दुःख के काले बादल छा गया
बृंदाबन् उस दिन से जीता जागता शामसान सा बन गया...
जीवन में संतोष हो, सुख मय हो परिवार।
रिश्ते नाते खुश रहे, खिलता तब है प्यार।।
