इश्क़
इश्क़
चलते-चलते ठहरने का मज़ा ही कुछ और है,
निखरने के लिए बिखरने का मज़ा ही कुछ और है !
इश्क़ खुद इश्क़ के काबिल है महबूबा हो न हो,
इश्क़ से इश्क़ करने का मज़ा ही कुछ और है !
बहुत लोग जी रहे मर-मर के मरने के लिए,
ज़िंदा रहने के लिए मरने का मज़ा ही कुछ और है !
ख़ौफ़ नहीं मज़हब या सियासत का "क्रांति" को,
पर अपने ज़मीर से डरने का मज़ा ही कुछ और है !!