मेरा भारत मिट्टी सोना( तर्ज मेरे नैना सावन भादो)
मेरा भारत मिट्टी सोना( तर्ज मेरे नैना सावन भादो)
मेरा भारत (व्यंग्य गीत )
मेरा भारत मिट्टी सोना शान से लहरे तिरंगा पाप धोती मैया गंगा
बरसों बीत गये हमें आजाद हुए फिर भी अभी भी है गुलामी छायी है गुमनामी कहाँ गये संत सच्चे ज्ञानी कहीं मंदिर में कहीं मस्ज़िद में होता रोज
यहाँ दंगा फिर भी लहरे तिरंगा मेरा भारत...... l
बात पुरानी है संघर्ष की कहानी है चढ़ गए हँसके फंदे को समझ के महबूबा के झूले शहीदों को हम भूले अन्नदाता यहाँ दर-दर भटके शेर बने सियार -रंगा पाप धोती मैया गंगा..
मेरा भारत मिट्टी सोना .....पाप धोती मैया गंगा !