इश्क ना करना यारों
इश्क ना करना यारों
शुरुआत होती है,
नजरों नजरों से
धीरे- धीरे, होले - होले
फिर बात आगे बढ़ती है।
रातों की नींद और
सुबह का चैन गायब हो जाता है
बस्स ! हर पल उसका ही
चेहरा नजर आता है।
जैसे-जैसे दिन ढल जाते है,
वैसे-वैसे ही प्यार की
कमी नजर आती है
फिर एक ऐसा
सवेरा आता है,
वो छोड़कर जाने की
बात करते है।
आखिर में रह जाती है,
सिर्फ उसकी यादे
और उसके वो
झूठे वादें
पल - पल उसके इंतजार में
जिंदगी यूं ही कटतीं है।
उसे फिर एक बार
पाने की उम्मीद में
अल्लाह से दुवाएं मांगते है।
जिंदा रहकर भी,
मुर्दा लाश बनकर रह जाते है
यहीं हाल होता है,
इश्क करनेवालों का।