STORYMIRROR

Saumya Verma

Romance

3  

Saumya Verma

Romance

इश्क़ का इज़हार

इश्क़ का इज़हार

1 min
260

तो आज जनाब ने कुछ यूं हाल-ए-दिल बयां किया,

शुरुआत की "मोहतरमा" से और फिर शब्दों को रिहा किया।


खैर मुझे आज इस खातिरदारी की उम्मीद तो नहीं थी,

पर दिल मेरा भी पिघल गया क्योंकि शुरुआत तो उनकी सही थी।


एक साथ तीन-चार ऐसे सवाल किए,

भूकंप आयी हो जैसे और इन्होंने ही हो बवाल किए।


पूछा उन्होंने "मोहतरमा क्या आप हमारे साथ जिंदगी बिताना चाहेंगी?"

अजी, अब ऐसे पूछोगे तो हम तो बिन बुलाए भी आपकी जिंदगी में आएंगी।


मुझसे शादी करेंगी? मेरे बच्चों की अम्मा बनेंगी?

हम दुविधा में थे, कि उनके सवालों पर हम कैसे रिएक्ट करेंगी?


इतना कहकर जब पूरा हुआ सवाल होना

तब हमने भी मुनासिब समझा जवाब देना।


जी साथ जिंदगी भी बितानी है

और साथ आपके शादी भी रचानी है

और बच्चे तो खैर हो ही जाएंगे

इंशाअल्लाह...!!!


जनाब हमें आप से बेइंतहां मोहब्बत है

आपकी मोहब्बत ही हमारे लिए इबादत है।


आप निकाह करेंगे या शादी?

उन्होंने कहा शादी (हम समझ गए मनानी है इनको खुद की बरबादी)


उन्होंने खेद जताया देरी का

हमने कहा करना भी नहीं जरूरी था।


खैर अब तो कर दिया

और करने के लिए शुक्रिया


जनाब कहने लगे करना तो है

हमने पूछा ज़रूरी क्यों है


सारी खुशियां जो आप को देनी है

अजी साथ आपके तो सारी खुशियां ही मेरी है


"अजी सुनते हो आज मैंने फिर कुछ लिखा है,

समझ नहीं आ रहा कहा क्या छुटा है...!!!"


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance