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Deepak Choubey

Romance

4  

Deepak Choubey

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इस राह पर धूल को मत बैठने दो

इस राह पर धूल को मत बैठने दो

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दो दिलों के बीच

स्थान की दूरी का क्या अस्तित्व? 

हम-दोनों जानते हैं -

कि 'दिल से दिल को राह होती है'।

पर समय का एक लम्बा अन्तराल

इस राह को धूल से पाटने में समर्थ हो जाता है। 

वक्त का बवण्डर

पारस्पारिक- विश्वास को धूमिल कर देता है

राह की धूल

दिल के शीशों पर बैठकर उन्हें धुँधला देती है। 

मत बैठने दो दिलों की राह पर धूल। 

शीशे पर कपड़ा फेरते रहो। 

तुम कितनी भी दूर चले जाओ

पर वापस आने में देरी मत करो। 

आते- जाते रहने से राह पर धूल नहीं जमती। 

कपड़ा फेरते रहने से शीशे चमकते रहते हैं। 

समय के अन्तराल को दृढ़ता से कह दो

कि- वह अपने लिए कोई दूसरा रास्ता तलाश करे। 

यह व्यक्तिगत रास्ता है। 

दिलों की राह में धूल का क्या काम? 

इसमें केवल हमारी आवाजाही रहेगी। 

यह अत्यन्त सँकरा है। 

इसमें किसी तीसरे के लिए कोई जगह नहीं। 



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