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Hetalba Vaghela

Romance

4  

Hetalba Vaghela

Romance

इंतज़ार

इंतज़ार

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 कभी नहीं सोचा की बारिश के दिनों में हमें,

धूप का इंतजार क्यों रहेता है।


कभी नहीं सोचा की शाम होते ही,

एक नई सुबह का इंतजार क्यों रहेता है।


कभी नहीं सोचा कि जिन पलों में हम इतना खुश हुए थे,

उन पलों के आने का इंतजार क्यों रहता हैं।


कभी नहीं सोचा कि पौधों पे कलियों के आते ही,

हमें फूलो का इंतजार क्यों रहेता है।


कभी नहीं सोचा की अमावस्या की काली रात से ही,

हमें पूर्णिमा का इंतजार क्यों रहेता है।


कभी नहीं सोचा की हमें आपके चाँद से चेहरे पर,

खूबसूरत सी मुस्कुराहट का इंतजार क्यों रहता है।


कभी नहीं सोचा की आपके जाने के दूसरे पल से ही,

आपके आने का इंतजार क्यों रहेता है।


शायद कभी नहीं सोचा कि ये हसीन 'इंतजार ' ही तो है,

जो जिंदगी जीने का हौसला बढ़ाता है।


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