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Vaibhavi Gharat

Tragedy

5.0  

Vaibhavi Gharat

Tragedy

इंतजार ना रहा‌

इंतजार ना रहा‌

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चाहा था कभी दिल ने भी तुझे

तब वक्त ने साथ नहीं दिया

दिल की बात जुबां पर

आने ही वाली थी

‌‌‌‌‌‌तब लफ्जों ने मुंह मोड़ लिया।


दिल मान नहीं रहा था

मगर दिमाग समझ रहा था

शुरुआत चाहे तुमने की हो

‌‌‌‌‌‌‌‌‌लेकिन खत्म किस्मत ने किया था।


शायद तुम्हें लगता था कि

मैं तुझे समझ नहीं पाई

पर मैं सब समझ रही थी

तब तुम ने बेवफाई दिखाई।


वादा किया था खुदा से

तुम्हें बेइंतहा मोहब्बत करेंगे

‌‌‌पर तूने मौका गँवा दिया

ख़ैर ये अजीब सिलसिला

अब रुक गया था।


तेरा यूं जिंदगी में आना

और फिर जाना मानो

भगवान का ही इशारा था

तुझसे जो खो गया वो और

कुछ नहीं तेरा प्यार ही था।


दोस्ती तो मैं

अब निभा रही हूं

बस तेरे आने का

अब इंतजार ना रहा।


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