इंदिरा नगर
इंदिरा नगर
इंदिरा नगर
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चौराहे पर,
किनारे , चिकन की दुकान के पास,
आज भर की कमाई के लिए,
भूख से निढाल
परिवार की भरपाई के लिए,
मज़बूर औरतों की भीड़ है ,
सरला ! साधना ! परवीन !
कल तू किधर गयी गयी थी ?
परस्पर पूछने में व्यस्त ।
दूसरी तरफ
पुलिस चौकी के सामने
रहमान , अख़बार वाला !
फ़ोकट में अख़बार देता है ,
सलाम साहब ! रोज कहकर ,
छह से दस
तब अख़बार बेंच पता है ,
मोड़ से , दस कदम पर
मंच सज रहा है
पुलिस भीड़ के संतुलन में
इधर उधर डंडे मारते फिर रही है
हजारों कुर्सियां !
तमाम पोस्टर !
शायद कोई बड़ा नेता ....."
चिकन की दुकान वाले मोड़ पर
सात , आठ सर मुंडे लड़के .....
बेगारी के लिए पूछते .....
चल , रोकड़ा लेगी ,
साली ! डान न करेगी ,
कहा एक ने अकड़कर उनमे से
नई रे बाबा !
मई उत्ता दूर नईं जाती ,
...... दिया उत्तर ,
फूले पेट पर हाथ रखकर
पायी तमाचा गाल पर
पीडीए जैसे लाल पर
लुट गयी आन
पीठ पर उँगलियों के निशान
गिर पड़ी मुंह भले
आई न कोई , थी अकेले ,
सोची , लगूं पत्थर फेंकने ,
लौटकर मार लात से ,
पेट पर ,
उन लड़कों में से एक ने ,
धिक् ! नेता जी का स्वागत हो रहा है ....
पुलिस मंच को संभाल रही है ।