अब, बहुत हो गया !
अब, बहुत हो गया !
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वृत्त की परिधि में बैठे हैं
दो शत्रु , विनाशक
हाथ मिलाकर
एक बहलाकर लूटता है
दूसरा खुलेआम
घात लगाकर ।
छोड़कर अपनी जगह
चले जा रहे साथ इनके
डरे - डरे बेवजह
न जाने किसके हाथ लगें, हम
कटी पतंग की - सी डोर
भला घर का ताला खोलने के लिऐ
अब , अनुमति सरकार से क्यूँ लें ?