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Ratneshwar Thakur

Drama Inspirational

5.0  

Ratneshwar Thakur

Drama Inspirational

ईश्वर

ईश्वर

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चित चिंतन जब लागे हरि समीरा,

फिर न रहे कोई दुख और पीड़ा।


कर्ता और कर्म का विधान हो,

तुम ही जग में विज्ञान हो,

हो तुम ध्यान में, चिर साधन,

और अंतर्मन का ज्ञान हो।


हो व्याप्त कण कण,

मन में बसे राम हो,

हो तुम बनबासी,

और पुरुषों में महान हो।


हो संतप्त, और समृद्ध,

बुद्ध का बोध हो,

महावीर का मान हो,

कवि की कोकिल में,

स्वर और नाद हो।


तुम छंद हो गीता का,

तुम गीत हो मीरा का,

तुम मीत हो सुदामा का,

तुम मनमीत हो राधा का।


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