हुनर
हुनर
ज़िंदगी जीने का हुनर भी क्या ख़ूब हमने पाया
हर जर्रे ने हमें बेख़ौफ़ तहे दिल से आज़माया
हमारे हुनर की पहचान से हमने ख़ुद को पाया
वजूद हमारा बरकरार इस जीवन को था भाया
सपनों के मोती बिखरायें कभी ज़िंदगी को पाया
मुसलसल हसरतों में छिपा हमारे हुनर का साया
तस्कीन-ए-दिल कभी बड़ी आरजू लिये भरमाया
हुनर से जज़्ब-ए-कामिल लिये हर जर्रा-जर्रा मुस्कुराया
आरजुओं के जुगनुओं को कई बार अंधेरों ने भी डराया
बेबाक हुनर-ए-कशिश़ ने हमारा हर पल साथ निभाया
