हताश
हताश


खुद से न हो हताश तू, खुद से न हो निराश हो,
सामना कर दुनिया का तू,चाहे हो जाए तुझ पे थू।
तू जैसा भी है बखूबी है, तराज़ू में न तोल तू,
तुझे तराशा है भगवान ने, अपनी आँखें खोल तू।
तुझ सा न कोई दूसरा, अपनी खामियां भूल तू,
ना अपनी माँ की कोख लजा, अपने पिता का कर्ज चुका,
जो सृष्टि का रचियता है बस उसके सामने शीश नवा।।