हसरत
हसरत
कोमल कलियों सी अदा क़यामत
तारे चमकते हैं ऐसी है किस्मत
आँखों का जादू वो पलकों की हरकत
बदलने लगा है हमारी ये फितरत
उलझे गेसुओं पे हिना की बरकत
उससे छु लूं या फिर निहारु सूरत
एक रात कर के खयालों में शिरकत
हैरान कर दूँ में हो गर इज़ाज़त
नशा लबों पे या मीठी सी शरबत
ज़रा पिला दें जो मिल जाए राहत
साँसों की खुशबू से छा जाए मसर्रत
तू मुझ में समाँ जाए मिट जाए हसरत
तू मुझ में समाँ जाए मिट जाए हसरत....