हर वकील को समर्पित
हर वकील को समर्पित
उखड़ती ज़िन्दगियों को, वो अक्सर संभाल लेता है!
अच्छे अच्छों को, मौत के मुँह से निकाल लेता है !!
न वो हिन्दू देखता है, न कभी मुसलमान देखता है !
खुदा का बंदा है वो, हर शख्स में बस इंसान देखता है !!
केस कितना भी गंभीर हो, वो हिचकिचाता नहीं कभी!
मुकद्दमे की पेचीदगी देखकर वो सकुचाता नहीं कभी !!
उसके हाथों में जो हुनर है, बखूबी जानता है वो !
अपने पेशे को खुदा की इबादत मानता है वो !!
जब भी जाता है वो अदालत, खुदा को याद करता है !
सफल हो जाए मुकद्दमा, यही फरियाद करता है !!
केस कितना भी बड़ा हो, वो जी जान लगा देता है!
मुवक्किल को जिताने में, वो पूरा ज्ञान लगा देता है !!
खरी खोटी वो सुनता है, फिर भी खामोश रहता है!
अपनी असफलता का उसको बहुत अफसोस रहता है !!
वो जानता नहीं किसी को, मगर धीरज बंधाता है !
निरंतर कर्म के पथ पर, वो बढ़ते ही जाता है !!
उसे मालूम है कि जिन्दगी, उस खुदा की रहमत है !
खुदा के बंदों की सेवा, मगर उसकी भी हसरत है ! !
