होली घनाक्षरी
होली घनाक्षरी
आई मस्तों की टोली, खेल रहे मिल होली
गांव - गांव गली - गली, कर रहे हुड़दंग।
लाल-हरा-नीला-पीला, किसी ने लगाया काला
जो भी पड़ जाए पाला, रंग दिया अंग-अंग।
करते सभी को तंग, जैसे कर रहे जंग
एक दूसरे के संग, देख सब हुए दंग।
पीया जिसने भी भंग, मन में उठे तरंग
पुलकित अंग - अंग, हो रहे मस्त मलंग।