हो गया
हो गया
कब कहा ये दिल दीवाना हो गया,
खंडहर पूरा सुहाना हो गया।
था बड़ा गुरूर अपने इश्क पर,
आदमी रब का ठिकाना हो गया।
आज बदला तो नहीं हे रूख ये,
फिर मंजर क्यूँ पुराना हो गया।
अब जरूरत जेब की कोई नहीं,
ये कफन सारा खजाना हो गया।
हादसा हो तो गया तेरी गली,
याद का पन्ना बहाना हो गया।
हो वजह कोई बता ए जिंदगी,
साथ जीने में जमाना हो गया।
कुछ तो जलती हे शमा यूं शाम पर,
यार का घूंघट घराना हो गया।
