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राकेश सिंह सोनू

Abstract

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राकेश सिंह सोनू

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हम भाई हैं !

हम भाई हैं !

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हम भाई हैं, 

अपनी बहनों की नज़र में 

एक आदर्श भाई।


पर हम ही जानते हैं कितने शरीफ हैं हम,

अपनी बहनों की बुराई हम देख-सुन नहीं सकते 

पर गैरों की बहनें हमारी प्रेमिकाएं हैं।


हम अपनी बहनों को कभी अकेले बाजार नहीं जाने देते 

पर हम चाहते हैं कि गैरों की बहनें बाहर अकेली निकलें।

हम चाहते हैं कि हमारी बहनों की झटपट हो जाये शादी 

पर हम पहले प्यार-व्यार का मजा चखना चाहते हैं। 


हम रक्षाबंधन के दिन बहनों के

सतीत्व की रक्षा का वचन लेते हैं 

उन्हें छेडनेवालों को हम बक्श नहीं सकते। 

पर हम गैरों की बहनों को छेड़ आनन्दित होते हैं।

हम अपनी बहनों को जींस-मिडी नहीं पहनने देंगे 

यदि गैरों की बहनें पहनें तो हमारे मुँह से सिटी बज जाएगी।


हम अपनी बहनों को डेटिंग पर जाते नहीं देख सकते 

पर हम चाहेंगे कि गैरों की बहनें हमारे

साथ पार्क व सिनेमाहॉल घूमें। 


हम नहीं चाहेंगे कि हमारी बहनों के

साथ कुछ अनहोनी घटे 

पर गैरों की बहनों के साथ

बुरा हो तो हमे परवाह नहीं।


जमाना खराब है यह सोचकर हम कल्पना

करते हैं कि काश ! हमारी बहनें ना होतीं, 

पर हम चाहेंगे कि गैरों की बहनें हों।


जिस दिन हमारी बहनें हमारी असलियत देख लेंगी 

यह तय है कि हम उनकी नजरों में गिर जाएंगे।

पर हम कभी नहीं चाहेंगे कि वह वक़्त आए 

जब हमारी 'शराफत' पर शक किया जाए।


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