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NEHA YADAV

Classics

4.8  

NEHA YADAV

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हक दो

हक दो

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मत जकड़ो बेड़ियों में उन्हें भी उड़ने का हक दो

लड़की है,क्या करेगी पढ़कर?ये सोच सोचना छोड़ दो।

बस बनी है चूल्हे-चौके के लिए ये बात दिमाग से निकाल दो

क्यो टोकते हो ?जरा उन्हें भी नादानियाँ करने दो।

लड़की है तो क्या हुआ !उन्हें भी जीने का हक दो

उनके कपड़ों से उन्हेंजज करना छोड़ दो।

सजने-सँवरने से उनके चरित्र का सर्टिफिकेट देना छोड़ दो

नजरें खराब औरो की हो तो पर्दा उन्हें करने को मत कहो।

लड़की है तो क्या हुआ ! उन्हें भी बराबर जीने का हक दो

हर आशाएँ पूरी करेंगी उन्हें मोका तो दो।

चलो माना जीने का हक दे ही दिया है

फिर ये भेद-भाव तो ना रखो

लड़की है तो क्या हुआ! उन्हें अब "बराबर"जीने का हक तो दो।


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