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Sandeep Prajapati

Abstract

3.5  

Sandeep Prajapati

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हिन्द के वीर

हिन्द के वीर

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ये शेर हिन्द के वीर है 

हर एक कि नजरे तीर है

संभल के कदम बढ़ाना

यहां हर बच्चा सूरवीर है


अपनी छोटी नज़रों से बड़े सपने ना देख

अगर शौक़ है तुझे तो हिंदी इतिहास देख

ना जाने कितने आए हिन्द की भूमि पर

क्या हस्र हुआ उनका आंख खोल और देख


हम कभी किसी पर पहले वार नहीं करते

हम अपने पर आ जाय तो रिहा नहीं करते

अच्छा होगा गीदड़ भभकी तू बंद कर देता

हम हिन्दुस्तानी किसी के बाप से नहीं डरते


चाहे अपने आका को बुला तू चाहे चाचा को बुला

हमे कोई फर्क नहीं होगा चाहे अपने दादा को बुला

यहां तो सब तेरे बाप बन बैठे है अपने झोपड़ी में

माफ कर देंगे एक बार प्यार से अपने पापा को बुला!



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