हौसला है मुझ में...
हौसला है मुझ में...
हौसला है मुझ में
इतना की...
कभी के बिखर जाऊँ तो
फिर से संवर सकती हूँ।
हुनर है उतना मुझमे की
मॉं-बाप के संस्कारों से
दुनिया बदल सकती हूं।
नाकामी के दो कदम चलकर
डगमगाने वाली नहीं मैं।
जीत की पूरी चोटी
पार कर जाऊंगी मैं।
सिर्फ खाली नाम की
तृप्ती नहीं मैं...
मन की तृप्ती करके ही
तृप्त हो जाऊंगी मैं।