Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Gurudeen Verma

Abstract

4  

Gurudeen Verma

Abstract

हाय हाय रे कमीशन

हाय हाय रे कमीशन

1 min
377


(शेर)- नहीं है जगह बैठने की सरकारी बिल्डिंगों में, बरसात में।

जगह जगह बने है गड्ढें सरकारी सड़कों पर, बरसात में।।

यह सारा खेल है कमीशन का, काम मजबूत कैसे होगा।

कितना बड़ा होता है धोखा, कमीशन में जनता के साथ में।।

-----------------------------------------------------------

किसी को आबाद, किसी को करता है तू बर्बाद।

तुम्हें कहूँ जिंदाबाद या, तुम्हें कहूँ मैं मुर्दाबाद।।

हाय हाय रे कमीशन---------------------------(4)


टपकती है बारिश में, क्यों बिल्डिंगे ये सरकारी।

बिखरती है बारिश में, क्यों ये सड़कें सरकारी।।

कमीशन के बांध - ब्रिज, क्या होते हैं इतने फौलाद।

तुम्हें कहूँ जिंदाबाद या, तुम्हें कहूँ मैं मुर्दाबाद।।

हाय हाय रे कमीशन--------------------------(4)


करवाना है काम जल्दी तो, कमीशन देना होगा।

बिना कमीशन फ़ाइल पर, कोई साइन नहीं होगा।।

देखो कमीशन वाले, कितने निडर है और आजाद।

तुम्हें कहूँ जिन्दाबाद या, तुम्हें कहूँ मैं मुर्दाबाद।।

हाय हाय रे कमीशन--------------------------।।


बन गए कमीशन से, कम वर्षों में महल वाले।

अब चलते हैं कारों में, कल पैदल चलने वाले।।

कमीशन की दौलत से, करें मौज उनकी औलाद।

तुम्हें कहूँ जिन्दाबाद या, तुम्हें कहूँ मैं मुर्दाबाद।।

हाय हाय रे कमीशन----------------------------।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract