हाथों का मैल
हाथों का मैल
क्यों चला है तू
पकड़ने रेत को।
किसके लिए भाग रहा
पीछे करने समय को।
माना चाहिए तुझे
दुनिया के ऐशोआराम।
काम नहीं आयेंगे
गुलाबी नोट हराम।
चार दिन की ज़िंदगी
अपनों के साथ बिताले।
प्यार भरे प्यार के पल
दिल में छुपा ले।
बुढ़ापे में तेरा शरीर
तोड़ता होगा दम।
बिना लाठी के आगे
बढ़ेंगे नही कदम।
लालसा छोड़ दे कमाने की
भर ले खुशियां ज़माने की।
बच्चों की मासूमियत से
अनजान हो गया है।
दुनिया भर के खिलौने उसके
पापा की गोदी से महरूम हो गया है।
न दिन का चैन तेरा
न रातों की नींद तेरी।
हाथों के मैल पर ही
टिकी है जिंदगी तेरी।
जो रह जायेगा यहीं पर
उसे बटोरने की कोशिश न कर।
कुछ नाम कमा ले दुनिया में
यूँ ही वक़्त बर्बाद न कर।
