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SATISH SINGH

Abstract Others

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SATISH SINGH

Abstract Others

हाँ, मैं होली हूँ

हाँ, मैं होली हूँ

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मैं अमराई की खुशबू हूँ 

रंगों की धार हूँ

जीवन के सफर में 

खुशियों का उपहार हूँ 


मैं लहलहाती फसलों की 

बस्ती हूँ, गाँव हूँ

भूले प्रेम पथिकों की 

रसवंती जान हूँ


दिग में दिगंत में 

मैं ही ठाँव-ठाँव हूँ

द्वारे, चौबारे हूँ 

बरगद की छाँव हूँ 


पुलकाती रोम-रोम

व्योम-अलबेली हूँ

खुशियों की, सखियों की 

सच्ची सहेली हूँ

हाँ, मैं होली हूँ 

 

मैंने ही बांटी है 

मुस्कानें 

दिल-खोल 

बूढ़े-जवान-बाल 

जंचते हैं अनमोल 


मैं ही तो फागुन की 

आँखों का अंजन हूँ 

पछुआ की झकझोर 

मस्ती, प्रभंजन हूँ 


मैं ही तो महुआ हूँ 

मैं ही पलाश हूँ 

मैं ही तो विरही के 

सपनों की आस हूँ 


मैं ही अल्हड़ हूँ 

यौवन अठखेली हूँ 

बूझकर जो रह जाये 

अनबुझी, पहेली हूँ


हाँ, मैं होली हूँ 

 



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