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SATISH SINGH

Others

5.0  

SATISH SINGH

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गजलें

गजलें

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१.

सोचा न था जिंदगी मिलेगी दोबारा जीने के लिये

आँखों में नींद आई सपनों में उतरने के लिये,


जीवन है तो मुश्किलें आयेंगी ही

आगे बढ़ना है, मंजिल तक पहुंचने के लिये,


इस सफर के अनेक रूमानी किस्से हैं

सहेज लिया है, ऊर्जस्वित होने के लिये।


राह में फरिश्ते भी मिले, राहजन भी

अच्छी यादें रह गईं, बताने के लिये,


जितने चेहरे हैं उतनी ही है कहानियाँ

गुलें बेचैन हैं, खुशबू बिखेरने के लिये,


सतीश, जो शमां जली है, वह बुझेगी भी

पर यह शमां नहीं जली है, बुझने के लिये।


२.

आपको देखकर सारा काम भूल गया

नजरें मिलाई तो जाम भूल गया,


जब से आपके घर जाने लगा

मयखाने की राह भूल गया,


बुजुर्गों के अदब की महफ़िल में 

आपको देखा तो अदब भूल गया,


तेरी यादों में था गज़ब का नशा 

कब हुई सुबह, कब शाम, भूल गया।


जब से इश्क की दरिया में डूबा हूँ

समझदारी का हर लफ्ज़ भूल गया,


कहते हैं बदलाव मौसम की फितरत है

आपके संग रहकर बदलना रुत भूल गया,


दर्द आपसे इस कदर है बाबस्ता 

आँखें आँसू को करना जब्त भूल गया,


खामोशियों के कई अफसाने होते हैं

आप मिलीं तो ख़ामोशी के शब्द भूल गया,


वर्षों से पतझड़ सी जिंदगी थी, सतीश

खुशी मिली तो करना व्यक्त भूल गया।



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