हां मैं एक नारी हूँ
हां मैं एक नारी हूँ


हां मैं एक नारी हूँ पर ना समझो बेचारी हूँ।
सहती हूँ बहुत कुछ पर ना हिम्मत हारी हूँ।
भरी हैं ममता की ठंडी सी छांव मुझ मे,
अपनों पर सदा ही मैं सब कुछ वारी हूँ।
ना समझो चुप्पी को मेरी कमजोरी तुम,
शान्ति की ख़ातिर बस यह चुप्पी धारी हूँ।
जब इंतहा हो जुल्म की और अत्याचारों की,
ना समझना अबला हूँ मैं बनी तब संहारी हूँ।
है संसार और घर बाहर का अस्तित्व मुझ से,
अपनों की रक्षा करूं उन पे मैं बलिहारी हूँ।
जब तुम में दानव जागेगा मेरा अस्तित्व डोलेगा,
बन चंडी संहार करुंगी ना समझना फुलवारी हूँ।
हां मैं नारी हूँ पर ना बेचारी हूँ।