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Dheeraj kumar shukla darsh

Abstract

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Dheeraj kumar shukla darsh

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गर्मियाँ विशेष

गर्मियाँ विशेष

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इस बार गर्मी का मौसम

थोड़ी खुशी थोड़ा सा गम

खुशी मिली अवकाशों की

गम कोरोना से मिला मगर

हर कोई कैद हुए घरों में


खेल कुद सब हुए बंद

बच्चों का उत्साह खत्म

कोरोना से खाली उपवन

जहाँ खेलते थे पहले बच्चे

सूना पड़ा है वो आंगन


यहाँ वहाँ जहाँ भी देखो

फैला हुआ अनचाहा ड़र

मन व्यथित है सबका लेकिन

द्रवित मन आतंकित है

गर्मी के मौसम की खुशियाँ


सब कोरोना से संक्रमित है

बालमन हुआ है व्यथित

हालात कर रहे हैं भयभीत

यही है गर्मी की हालत

जो दिखाई दे रही है नियमित।


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