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Nitu Mathur

Inspirational

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Nitu Mathur

Inspirational

गर्म हंसी

गर्म हंसी

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ज़रा सी सर्द ज़रा सी खराश है तो क्या हुआ

मौसम अपने रंग में मगन है तो क्या हुआ,

थोड़ा सफ़ेद घने कोहरे का लिबास ...

हवा ने ओढ़ा है तो क्या हुआ

अपने शबाब पर इतराते हैं 

ये बरगद बर्फ़ के

इन्हें अपनी शायरी में आज 

उतारा है तो क्या हुआ,


पिघलते पारे का असर तो देखो 

जमे थमे ये नजारों का नूर तो देखो,

बदन को काटती, ये ठंडी वेग वायु

सुइयां सी चुभा रही

जिंदा हूं अब तक..

ये एहसास बार बार करा रही,


हर ऋतु का अपना अपना रंग है

कभी गहरा, कभी असर हल्का है

क्यों तू देखकर ये सिलसिला दंग है…


मैंने भी गर्म जोशी से इसे स्वीकारा है

 मन की सोच को कलम से उतारा है,


सर्द गर्म का ये चरखा सखी पुराना है

बढ़ा हाथ किसी की सेवा में ए बंदे तू

बांट के कुछ खुशियां इस मौसम की

दिन दुखी को दे गर्म हंसी , खुशी

बंदे को बस बंदे का सहारा है। 



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