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PARAMITA BASAK

Abstract

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PARAMITA BASAK

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गम पे जोर नहीं है मेरा

गम पे जोर नहीं है मेरा

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गम पे जोर नहीं है मेरा

जो आँखों से छलकता है,

ख़ुशी पे ऐतबार ना होगा कभी

जो होंठों से झलकती है।

दिल पे वश नहीं है मेरा

जो महबूब की राहें देखे,

ज़िन्दगी पे हुकूमत नहीं मेरा

जो जाये आहें दे के।


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