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Praveen Gola

Abstract

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Praveen Gola

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घोड़ों की सवारी

घोड़ों की सवारी

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सुबह की सवारी समुद्र तट पर न्यारी ,घोड़ों ने दौड़ लगाई देखो कितनी प्यारी ,घुड़सवार भला कैसे फिर होश संभाले ?आसमान में छाई बदरा कारी - कारी।

चित्र में नजर आई घोड़ों की सवारी,छाई है एक आदर्शता जो बहुत प्यारी ,मन को छू लेती है वह सुखद सुबह यात्रा,समुद्र तट की हरियाली है अद्भुत न्यारी। 

चारों ओर फूलों की खुशबू न्यारी ,पवित्र वायुगामी लगती यह सवारी,जगमगाती धरती पर जगमगाती लहरें,वीरता और जीवंतता की कथा प्यारी।

रंगों का मेला रेतीले तट पर प्यारा ,चिढ़ाती आहटें उमड़ता उत्साह न्यारा ,चारों ओर बस रंग घुलते, खिलखिलाते,इस अद्वितीय दृश्य से जिये जग हमारा।

मौसम की भी हुई थी कुछ साझेदारी , नीले अंबर की सफेद रेत से अनोखी यारी ,सुबह की सवारी समुद्र तट पर न्यारी ,घोड़ों ने दौड़ लगाई देखो कितनी प्यारी।|



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