ग़ज़ल जिंदगी की
ग़ज़ल जिंदगी की
हो के जिंदगी से ख़फा
लौ ना इसकी बुझाओ
जिंदगी तो दीपक है
आगे भी रौशनी फैलाओ
कर जाये कोई शाम तुम्हें निराश
दिल में फिर एक आस जगाओ
जिंदगी एक संघर्ष है
इससे ना तुम घबराओ
छोड़ जाए कोई तुम्हे मोड़ पे लाकर
ख़ौफ़ ना दिल में जगाओ
हिम्मत को हमराही बनाकर
आगे भी कदम बढ़ाओ
जिंदगी तो काँटो से भरा एक गुलशन है
इसकी चुभन से न तुम घबराओ
इन काँटो की गले लगा कर
अपनी मंजिल को तुम चुम जाओ
