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Subhashree Mohapatra

Romance

5.0  

Subhashree Mohapatra

Romance

एक वह ही तो है - मेरा यार

एक वह ही तो है - मेरा यार

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414


कभी कभी ज़िन्दगी में यार मिले तो अच्छा लगता है

उन बचकाने झगड़ो में उलझना भी अच्छा लगता है

चाहे लाख सताए वह हमे वह यार हमें सच्चा लगता है

कोई है तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा यह दास्तां भी अच्छा लगता है

प्यार नहीं तो न सही एक यार हमने कमाया है

बेतुके से वक्त ने भी तो इस यारी को आज़माया है

लोग कहते है सिर्फ दोस्ती नहीं कुछ और अपना नाता है

शायद सच है उनका कहना वह जीना हमें सिखाता है। 


अब आप पूछते है तो हम बता ही देते है के

मैं धीमी सी आंच वह सुलगता सा आग है

मेरे बेसुरे जिन्दगी में वह ख्वाहिशों का राग है

मैं थमी हुई सी ज़ज़्बात तो वह अंदाज़ बेबाक है

मेरे पतझड़ को वह फूलों से लदा शाख है

मैं आईना तो वह परछाईं श्रृंगार की

मैं आवारी तो वह सुकून परिवार की

मैं समंदर का सिप तो वह समाया सा मोती है

वह रातों की लोरी मेरे थकान जिसमें सोती है


वह इतराता महताब है, कामिल सा ख़्वाब है

बिन नशे का शराब है, वह ना-समझ सब समझता है

वह मिट्टी कुसूर करता है, वह थोड़ा पागल थोड़ा

जिम्मेदार है

मेरे पागलपन का हक़दार है, वह हसरतों का इनाम है

पसंदीदा महमान है, वह तारों से भरा शाम है

वह ख़ुशियों का पैगाम है


बस एक आहट से वह मेरे हालात समझ लेता है

तो खुद को डाॅन कहकर डाॅकीं सा हरकत करता है

मगर जैसा भी है!

वह साथ यूं निभाता हालात मेरे समझता है

मेरी कदर करता है परिवार बनकर

वह ख्यालों में रहता है सोच में समाता है

वह धड़कन सा धड़कता है यार बनकर। 



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