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bhawana Barthwal

Inspirational

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bhawana Barthwal

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एक पत्र जीवन साथी के नाम

एक पत्र जीवन साथी के नाम

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एक लड़की की कहानी शादी के बाद उसकी जबानी 

कौनक्या कहता है किस लहजे में कहता है

ये बताना हमें आता नहींं।


जितना आसानी से जो कर दिया लोग मूर्ख समझते गये।

ससुरालका हर रिश्ता सच कम फसाना ज्यादा लगा हमेेेll

कौन क्या कहता क्यो कहता चलो ये भी छोड़ देते हम।


पर जब तुम ही हमे घड़ी घड़ी सवालों के घेरे में खड़़ा कर देेेते हो।

फिर बताओ हम किस से क्या कहें। 

हमने कभी ये सपना नहीं देखा मेरे पास गाड़ी बगला हो।

हां सिर्फ ये चाहा था की कोई समझने वाला हो।

हर वो रिश्ता जो तुम से मिला वो ईमानदारी से निभाया।


ससुर को पिता सास को मां का दर्जा 

नन्द को बहन

जेठ कोभाई का दर्जा। 

फिर बोलो क्यों मुझे ही किसी ने अपना नहीं समझा।

शादी को हुए सिर्फ तीन महीने हर किसी का रवैया बदलने लगा था।


तुम्हारी भाभी ने मुझे असिस्टेंट कहा।

वो बात मुझे बुरी लगी।

मैंने जाने दिया। 

हर बात तुम्हारी मां और भाभी बात करते थे 

मेरे आते ही चुप हो जाना।

पर कोई बात नहींं छोड़ो जाने दो।


फिर भी मैं मां मां

ही बोलती रहती।

पर उन्होंने बेटी कभी नहीं माना।

जूस के ग्लास अपनी बेटी को दिये मुझे नहीं।

तुम तबभी मौन रहे

और ठीक भी था।

 भाभी का दर्द उनका पति समझता रहा।

मुझे किसी ने नहीं समझा।

फिर भी ठीक था। 


खुद कभी फल नहीं खाया ।

ना खुदके बच्चो को दिया।

सबसे पहले घर के बुुुुजुर्ग रखे।

फिर भीमुझे गलत ही समझा।

चलो ठीक। 


फिर भी सोचा मुझसे ही

गलत हो गया होगा कुछ।

मैं करती रही हर काम किस ने कुछ नहीं सोचा।

घंटों खड़े होकर मुझे चक्कर आ जाते थे।

मै तुम्हारी मां से बोलती थी उन्होंने

कभी नहीं कहा तू आराम कर ले।

अपनी बेटी अपनी होती है ये देेेखा मैने।

तुम कहते हो मैं गलत।

तुम ने

अपने रिश्तों को समझा

मुझे समझते तो हर रात मेरा दिल यो ना भरता।

मुझे कुुछ ना बताना मुुुझे कुछ ना समझने की वजह

हर मान सम्मान परिवार के हर सदस्य के

हिस्से में आया पर मेरा हिस्सा लोग भूल गये।


छोटी छोटी खुशी से मुझे खुशी मिलती है।

तुम हमेशा अपने हाथ पिछे कर लेते।

कुछ कहा तो तुम्हारा ये कहना की तुम दूसरों

को देखकर करती हो।


क्या कहे, बहुत कुछ है और पर मन नहीं अब कुछ कहने का।

मै क्या कहती हू क्यो कहती है ये जानना आपके लिए ज़रूरी नहीं।

मेरे अपने घर के साज सज्जा के बारे में बात करना।

क्यो गलत। 

मैं जिन्दा हूं मुझे सब मरा हुआ समझने मैं क्यों

आमदा है।

ये भी ठीक।


मैं भी मां हूं पत्नी फिर हर कोई मेरा अपमान ?

मां बाप और रिश्तेदार जो है जीवन में अनमोल 

तुम्हारे साथ है जो जन्म से निभा रहे हो तुम ।

फिर बोलो क्यों हम बुरे हुए।

कुछ रिश्ते अधिकार जताने और दिलाने को जरूरी होते हैं। 


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