एक मुसाफिर
एक मुसाफिर
आज फिर से
एक मुसाफिर बन के
निकला हूँ,
फिर से तुझे ही
ढूंढने निकला हूँ,
कहीं भटक ना जाऊँ
रास्ता इसलिए
तेरी यादों को साथ
लेके निकला हूँ।।
आज फिर से
एक मुसाफिर बन के
निकला हूँ,
फिर से तुझे ही
ढूंढने निकला हूँ,
कहीं भटक ना जाऊँ
रास्ता इसलिए
तेरी यादों को साथ
लेके निकला हूँ।।