एक औरत
एक औरत
कभी बेटी, कभी बहन, कभी माँ तो कभी पत्नी,
हर एक रिश्ता बड़ी बखूभी से निभाती है एक औरत.....
सोच की चारदिवारी में बन्द रहकर भी,
खुले आसमाँ की शैर करती है एक औरत....
हर पीड़ा सहन कर, हर दर्द भूलकर,,
बस अपनो को अपनों से जोड़े रखती है एक औरत.......
नौ महीने अपने कोख में रखकर,
हर एक पीड़ा को सहन करके ,
अपनी मम्मता और संस्कारो को देकर,
एक मां का रिश्ता बड़ी मासूमियत से निभाती हैं,
एक औरत
कुछ लोगो की गंदी सोच से ,
कुछ बुरी प्रथाओं और रीति रिवाजों से,
कुछ गलतफहमियों और नियमों से,
कमजोर होती हैं एक औरत
Save women जेसी बातो से,
क्यों इन्हे ठहरा बना रहे हो,
एक पंख देकर तो देखो,
बहुत दूर तक उड़ान भरती हैं
एक औरत।