थक कर बैठा हूं आसान लगाकर
थक कर बैठा हूं आसान लगाकर
इस घोर कलयुग के बिस्तर में बैठा हूं आसान लगाकर
तृप्त हो चुका हूं इसके मोहमाया बुराइयां छोड़कर
आश नहीं मुझे अब किसी की ना अब कुछ पाने की चाह क्योंकि हार चुका हूं
मैं इस बोरिंग काली दुनिया देखकर जानना चाहता हूं
मैं दुनिया को लेकिन कहां जानने दिया इन बोरिंगी सी
काली दुनिया ने अंत समय में हार कर बैठ गया
मैं आसान लगाकर ।
मदद किया मैंने जिंदगी में जिनकी वही काटे मुझे शेयन काली कुकुर सा मायूस हो गया ।
मैं रुक गया और थक के बैठा मैं आसन लगाकर।
अब नहीं जानना मुझे इस काली दुनिया को हो चुका है
मुझे ज्ञान नहीं मिटा पाऊंगा अकेले इस दुनिया की काली
करतूत को इस दुनिया में है असीमित बुराइयां ।
अगर दे कोई मेरे साथ पकड़े एक दूसरे का हाथ में हाथ मिट जाएगा एक दिन यह बुराइयां
समझे कोई एक दूसरे को कुछ तो हार कर निकल चुके हैं
पहरा कर बुरे लोगो की बुराइयों का काला झंडा ।
तृप्त हो चुके हैं दुनिया में लोग ना आश अब उन्हें किसी का
भूल चुके है वे चेहरा का हंसी वा जीवन की सुख सम्पदा ।
दिलाना है आश उन्हें ऐसा कुछ है मुझे करना मिटाने है बुराइयां काली कलियुग का जो मुड़कर न देखे पीछे हर किसी को
अंत समय में बैठ चुका हूं थक कर आसान लगाकर।
