हम धरती को किसी पल स्वर्ग बना सकते है
हम धरती को किसी पल स्वर्ग बना सकते है
भगवान यह धरती किसी की जन्म से दासी नहीं है
हम जन्म से धरती पर समान है।
सभी को मुक्त प्रकाश मुक्त वायु चाहिए।
इन पर किसी का अधिकार नहीं
बाधा रहित विकास मुक्त आशंकाओं से जीवन
लेकिन विघ्न अनेक अभी इस पथ पर खड़े हुए।
मानवता की रास्ता रोककर उन पर पर्वत खड़े हुए हैं
प्रकृति अनुसार सुख संभव नहीं जब तक
इस भव में मानव मानव में चैन नहीं जब तक
कि मनुष्य मनुष्य के सुख दुख में शामिल नहीं होगा।
या मानवता आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा।
जब तक यह मानव शंका भय तथा
लगा हुआ केवल अपने मैं और भोग संचय में
प्रभु ने दिया हुआ इतने विकट धरती पर।
भोग सकने वाले इस संसार में कहां है उतने नर
जो हो सके तृप्त इस भोग विलास से पा सके सुख।
हम नर चाहे तो पल में धरती को स्वर्ग बना सकते हैं।
हे पापी नर सुख-दुख वा धन संपत्ति को भोगना सिख
धन संपत्ति वा सुख की ना मांग तू भगवान से भीख
भगवान का दिया सब तेरे पास उसका उपयोग करना सीख
हम नर चाहे तो पल में धरती को स्वर्ग बना दे।