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कान्हा की दीवानी

Classics

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कान्हा की दीवानी

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एक आस

एक आस

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जिंदगी बहुत हसीन है जिये जा रही थी मैं

अपने गम को पिये जा रही थी मैं.. 


क्या वज़ूद है मेरा, कौन हूँ मैं

इस कश्मकश में घुटे जा रही थी मैं.. 


वो अल्हड़ सी लड़की, बेपरवाह सी

आज जिम्मेदारियों तले, दबे जा रही थी मैं.. 


हँसना, मुस्कुराना बीती बातें हो गई

आँखों से आँसू की बरसात किये जा रही थी मैं..


क्या है गलती मेरी, जो कुछ कह ना पाई

सबकी आँखों में सवाल बने जा रही थी मैं..


मरने से पहले जीना है फिर एक बार

बस इसी आस में... ज़हर पिये जा रही थी मैं।


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