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yash yadwanshi

Romance Fantasy Inspirational

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yash yadwanshi

Romance Fantasy Inspirational

दूसरा शुक्रवार

दूसरा शुक्रवार

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इन रिमझिम बारिशों से आज कुछ सवाल थें मेरे, हलाकि हर बार ये बारिश अपने साथ एक ख़ुशी लाती थी, मगर आज मैं इस बारिश से नाराज़ था |

हमेशा बारिश के आने से पहले एक बिहिनी खुसबू आती है जिसे मैं हर बार महसूस कर पाता था, लेकिन आज बस मैं अपने आँगन में बैठ कर कॉफ़ी का कप अपने हाथ लिये हुये.. नहीं नहीं कॉफ़ी नहीं बल्कि चाय को कॉफ़ी के कप में डाल रखा था !

हाँ.. कॉफी तो बड़े लोग पीते है मैं वही चाय को शौकीन था चाय.... चाय का नाम सुनते ही मानो चाय एक जिंदगी हो, जिसे जीने के लिए अपने होठों से लगाकर गले से गुजरकर अपनी अंतर आत्मा को समर्पित करते हो.. !!

अरे..अरे .. ये तो कहीं ओर आ गये हम, चलो अपने  सब्जेक्ट से नहीं भटकते है और सीधे टॉपिक पर आते है.. 

का..कल महीने का दूसरा शनिवार था और उसके बाद इतवार, दो दिन की छुट्टी होने के कारण वो आज आने वाला था, हा वो जिसके आने से शायद मैं इन दो दिनों में मैं खुद से मिल पाता हू ! जिसके आने से मुझे ये मालूम होता की मेरा भी कोई वजूद है !

मेरा भी कोई नाम है जो उसके लबो से निकले वक़्त मेरा नाम में अलग सी खुसबू आ जाती उसके बोलने मुझे पुकारने पर मेरे नाम के मायने ही बदल जाते... 

उसके बारें में सोचते ही बस उसी का ख्याल आने लगता है, ऐसा प्रतीत होने लगता है जैसे वो मेरे बेहद करीब हो, उसका ख्याल होते चेहरे पर अपने आप मुस्कान आने लगती, 

मुझे आज भी याद है उसके घर आने पर सबसे पहले मेरे बारे में पूछना होता था,और मेरे ना पता लगने पर वो मेरी तलाश जारी करती है और मेरे मिलने पर उसके हज़ारो सवालों से गुज़रना पड़ता था, 

कहा थे तुम, मैंने पता है तुम्हें कहाँ कहाँ नहीं ढूढा, तुम्हारी मैं जान ले लुंगी किसी दिन, और थें कहाँ तुम बताओ मुझे... 

और उसका गुस्सा अचानक प्यार में तब्दील हो जाना फिर मुस्कराकर कहना छोड़ो, ये बताओ तुम ठीक ओर कोई मिला तुम्हें मुझ जैसा या अभी भी बस युहीं अपनी ग़ज़लों या शायरी में उलझे रहते हो..


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