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Sheetal Sankhe

Abstract

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Sheetal Sankhe

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दूरियाँ कायम रखती है

दूरियाँ कायम रखती है

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कोई इतना क्यों अपना लगता है

हर पल उसी में दिल खोया रहता है !


फिर भी ना जाने क्यों,

रेत की तरह कभी वो फिसल तो नहीं जायेगा

ये उलझन सताती हैं...!


इतने पास होकर भी कुछ बातें

ना जाने दूरियाँ कायम रखती हैं !


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