दुनिया एक सराय
दुनिया एक सराय
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दुनिया एक सराय,
यहाँ आना और जाना,
नहीं बना सका,
जग में कोई ठिकाना।
धन और दौलत का
बाज़ार गर्म,
नहीं जानता इंसान जीवन का मर्म
इंसानियत जग में लाचार है।
आडंबरों में फँस के
चलना ना तुम,
द्वेष की आग में झुलसना,
और जलना ना तुम
इनसे बच के बहना जीवन सार है।
मेरे दोस्तों जग में ऐसे जियो
दर्द भूलकर अपना;
घाव औरों के सियो
संसार सागर में नाव तभी पार है।।